मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की प्रबंध अध्ययन संकाय द्वारा स्टैंडर्डाइजिंग मैनेजमेंट प्रैक्टिसेज चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी आईपीएस एमपी 2021 विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित आईआईएम तिरुचिरापल्ली के प्रोण् पीके सिंह ने भारतीय संस्कृतिए आध्यात्मिक शक्ति और प्रकृति से जुड़े प्रबंधन के गुर समझाते हुए प्रबंधन के विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि स्टैंडर्डाइजे़शन काल्पनिक शक्ति से परे नहीं हैए बल्कि नवीन परिकल्पना मानकों को स्थापित करने के लिए आवश्यक होती है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन अथाह सागर की तरह है और ना कि सिर्फ एक विषय है जिसमें आप जितनी गहराइयों तक उतरेंगे उतना ही उसका दायरा मापने के लिए उत्सुक होते चले जाएंगे और यही उत्सुकता नए मानक स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित होती है। उन्होंने कहा कि हमें आज भविष्य के रास्तों का मार्ग प्रशस्त करना होगा ताकि प्रबंधन शिक्षा के नए मानक तक शिक्षा का स्तर पहुंचा सके।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अधिष्ठाता प्रोण् आरके सिंह ने महाभारत के विभिन्न प्रकरणों एवं उदाहरणों से प्रबंधन के मानकों को सार्थकता से समझाया। उन्होंने मानव जीवन और तकनीक के बीच समन्वय बिठाकर प्रबंधन प्रैक्टिसेज़ को नवीन ऊंचाइयों तक ले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान और भविष्योन्मुखी प्रबंधन शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान नज़र आता है किंतु हमें भारतीय मूल्य और तकनीक का सम्मिश्रण कर वैल्यू एडिशन के बारे में सोचना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित प्रोण् पंकज पचौरी ने भारतीय साहित्य के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रबंधन न केवल हर क्षेत्र एवं विषय में सार्थक है बल्कि मनुष्य के जीवन में भी सर्वत्र विद्यमान है। उन्होंने कहा कि चाहे तकनीकी क्षेत्र हो या विज्ञान के वैज्ञानिक प्रयास यदि संयमित रूप से प्रबंधन ना किया जाए तो सभी कार्य अधूरे रहते हैं। प्रो पचौरी ने कहा कि प्रबंधन शिक्षा में सभी क्षेत्रों का समूचा अनुभव लेकर उसे उसके नए कीर्तिमान स्थापित करना ही उसके मानक स्थापित करना है।
कॉन्फ्रेंस में पैट्रन सुविवि के कुलपति प्रोण् अमेरिका सिंह ने प्रबंधन के क्षेत्र में प्लानिंगए सिंथेसिसए कैलिब्रेशन और स्टैंडर्डाइजेशन के संपूर्ण चक्र को विभिन्न उदाहरणों द्वारा समझाते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन हर गतिविधि में प्रबंधन का महत्वपूर्ण किरदार है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों को शुरू किया गया है जिनका मूल उद्देश्य विद्यार्थियों द्वारा समाज में उपयोगिता स्थापित करना है इसी को प्रबंधन कहा जाता है। सर्वप्रथम किसी सोच के चलते हम कार्य की शुरुआत करते हैं उसके बाद उसकी एक रूपरेखा तैयार करते हैंए फ़िर अपने सामर्थ्य से संपर्क स्थापित करते हुए एक नेटवर्क बनाते हैं और फ़िर उत्कृष्ट कार्य कर उसके स्टैंडर्ड यानी मानक स्थापित करते चले जाते हैं और यह प्रक्रिया निरंतर एक साइकिल की भांति बढ़ती ही चली जाती है। उन्होंने राजस्थान की प्रसिद्ध बीकानेरी भुजिया का उदाहरण देते हुए बताया किए ऐसी भुजिया भारत में अन्य स्थानों पर भी बनाई जाती रही होगी किंतु राजस्थान के बीकानेर जिले में किसी ने जब यह सोचा कि इस भुजिया को विश्व प्रसिद्ध किया जाए तो उसके पीछे यह प्रबंधन और प्रमाणीकरण के गुर ही थे जिसके चलते आज पूरे विश्व में बीकानेरी भुजिया के नाम से यह भुजिया प्रसिद्ध हुई है। प्रोण् सिंह ने इस उत्कृष्ट आयोजन के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं एवं बधाई प्रेषित की।
कार्यक्रम में ईरान से जुड़े मुख्य वक्ता प्रोण् हामिद सारेनी ने बताया कि प्रबंधन केवल शिक्षा मात्र तक सीमित नहीं है यह तो एक प्रयास है जो कि नवीन प्रचलन एवं प्रयासों के साथ प्रतिदिन नए सिद्धांत व्यवहारिक रूप में स्थापित करता है। आज विश्व में प्रबंधन का क्षेत्र ऐसा है जिसने सभी विषयों को अपनी गति के साथ व्यवहारिक रूप प्रदान किया है।
कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में कॉन्फ्रैंस संयोजक एवं संकाय निदेशक प्रोण् हनुमान प्रसाद ने सभी अतिथि.गणए आमंत्रित वक्ताओंए प्रतिभागियोंए विद्यार्थियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रबंधन शिक्षा में नित नए आयाम विश्व के विभिन्न कोनों से जुड़ते आ रहे हैं जो कि व्यवहारिक रूप में तब्दील तो होते हैं किंतु जब तक उन पर चर्चा एवं विमर्श ना हो तब तक कई आयाम केवल सीमा मात्र में बंद कर रह जाते हैं। आज प्रबंधन प्रयासों में विभिन्न चुनौतियां एवं अवसर दिखाई देते हैं इनको पहचानने और व्यावहारिक रूप में तब्दील करने के लिए इस पर चर्चा अनिवार्य है। साथ ही संकाय के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रोण् करुणेश सक्सेना के 60वें जन्मदिवस के उपलक्ष में उनके सम्मान में इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय के बारे में लोगों के मत एवं अनुभव जानकर हम उसे नई परिभाषा में डाल सकते हैं इसी सोच के चलते इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।उन्होंने कहा कि महामारी की विषम परिस्थितियों के चलते सभी कोविड.19 अनुकूल नियमों का पालन करते हुए कॉन्फ्रेंस को फिजिकल और डिजिटल दोनों माध्यमों पर आयोजित किया जा रहा है। प्रोण् प्रसाद ने बताया कि इस कॉन्फ्रैंस में देश.विदेश से कुल 180 शोध पत्र प्राप्त हुए जिसमें से कोविड उपयुक्त नियमों की अनुपालना करते हुए अतिथियों के अतिरिक्त सर्वोत्तम 20 शोध पत्रों के लेखकों को आमन्त्रित किया गया।
कॉन्फ्रेंस में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संकाय के प्रोण् अनिल कोठारी ने बताया कि विश्वविद्यालय निरंतर विभिन्न गतिविधियां आयोजित करने के लिए जाना जाता हैए संकाय की ओर से अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन होना संकाय के इतिहास में एक नया कीर्तिमान है।
उद्घाटन समारोह के पश्चात संकाय के वरिष्ठ प्रोफेसरए प्रोण् करुणेश सक्सेना के सेवानिवृत्ति माह और 60वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में ष्लाइफटाइम लर्निंग लेक्चरष् का आयोजन किया गया जिसमें प्रोण् सक्सेना ने कहा कि जीवन में एक सिद्धांत हमें सदैव याद रखना चाहिए कि यही समय है जो हमारे पास में वर्तमान में मौजूद है इसका सर्वाधिक सदुपयोग कर हम अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संपत्ति सीख में ही छुपी होती हैए जितना आप जीवन के विभिन्न पड़ाव पर अनुभव से सीख सकते हैं उतना ही आपके संपत्ति कोष में जुड़ता जाता है। उन्होंने अपने जीवन को पांच पड़ाव में विभाजित करते हुए बाल्यकाल से स्कूली शिक्षा को फॉर्मेटिव ईयर्सए कॉलेज शिक्षा को यूथफुल कालए प्रोफेशनल जीवनए अकादमिक एवं शैक्षिक जगत में अपने कार्यकाल एवं विभिन्न प्रशासनिक गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए अपने जीवन की रूपरेखा दिखाते हुए जीवन के 60 सालों को 60 मिनट में प्रस्तुत कर सभी का दिल जीता।
समानान्तर में प्रथम तकनीकि सत्र का आयोजन किया जिसमें अध्यक्ष एमडीएस विश्विद्यालय अजमेर के प्रोण् शिव प्रसाद रहेए विशिष्ट अतिथि प्रोण् धर्मेन्द्र मेहता रहे एवं मुख्य वक्ता प्रोण् हर्ष पुरोहित रहे। इस सत्र में कुल 49 शोध पत्रों का वाचन किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. अल्पना सिंह, डॉ. रश्मि सक्सेना, अधिष्ठाता गणए एवं देश.विदेश के प्रतिभागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉण् सपना मावतवालए और स्वाति लोढ़ा एजूकेशन विभाग द्वारा किया गयाए सांगीतिक प्रस्तुति संगीत विभाग के विद्यार्थियों विनय वर्मा एवं ऋतिक कुमावत द्वारा दी गई और तकनीकि सहयोग कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के डॉण् अविनाश पँवार के सानिध्य में प्रीतम कुमावत और अजय आदीवाल का रहा।