udaipur. -न धर्मो धार्मिकै: बिना- धर्म है तो धर्मात्मा व्यक्ति है, धर्मात्मा व्यक्तित्व है तो इस जगत में धर्म है। यदि हमें धर्म को बचाये रखना है तो धर्मात्मा पुरूषें का भी आदर करना पड़ेगा, क्योकि जिस दिन धर्मात्मा पुरूषों का अपमान शुरू हो जाएगा उनका सम्मान खत्म हो जाएगा तो इस पृथ्वी पर धर्म भी खत्म हो जाएगा।
ये विचार आचार्य सुकुमालनंदी महाराज ने सोमवार को आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्य ने कहा कि यदि हम खुद पर अहंकार कर रहे हैं तो यह अन्य धर्मात्मा पुरूषों व धर्म का अपमान हैं। यदि सुख- सम्पदा होने से हमारे भीतर अहंकार उत्पन्न हो रहा है उससे पाप का आस्रव होता है। अत: ऐसे धन से क्या प्रयोजन जिनसे हमको दुर्गति मिले। धन होने पर भी हम धर्म व धर्मात्मा पुरूषों को नहीं भूलें।
धर्मसभा से पूर्व नावां सिटी से 250 से ज्यादा श्रावक आये जिन्होंने आचार्यश्री को चातुर्मास हेतु श्रीफल भेंट किया। उन्होंने बताया कि शनिवार 13 तारीख को ये प्रशिक्षण शिविर रोजाना सुबह 9 से 9.45 बजे तक होगा। अंतिम दिन लिखित परीक्षा होगी। 14 अक्टूबर को आचार्य के सानिध्यव में उदयपुर के समस्त प्रतिभावान छात्रों को ट्रस्ट व वर्षायोग समिति द्वारा स्वागत किया जाएगा।