udaipur. गायत्रीपीठ हरिद्वार के प. चन्द्रवीर सिंह बिजोलिया ने कहा कि मनुष्य की मूल पूंजी शिक्षा, बल, धन आदि है । परन्तु मनुष्य जब तक इनका उपयोग करना नहीं सीख पाता तो इस पूंजी का दुरूपयोग होने लगता है। यदि साक्षर व्यक्ति विपरीत चलने लगता है तो व राक्षस हो जाता है। परन्तु जब धन, बल, व्यक्तित्व का सदउपयोग होने लगता है तब मनुष्य में सद विचार आने लगते है। अतः मनुष्य की समाज में मूल पूंजी सद्विचार हैं।
वे सोमवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कम्पयूटर एवं आईटी सभागार में व्यक्ति की मूल पूंजी विषयक व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि मनुष्य का समाज और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी अपनी वास्तविक पूंजी होती है तथा व्यक्ति का समाज में मान सम्मान आचार विचार भी महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना तथा दीप प्रज्वलन कर शुरूआत की गई । कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष श्रीमाली ने किया। धन्यवाद डॉ. भारतसिंह सिसोदिया ने दिया। इस अवसर पर छात्र- छात्राओं ने सवाल जवाब भी किये।