कृषि मौसम सेवाओं की वार्षिक समीक्षा बैठक का शुभारम्भ
Udaipur. मौसम विभाग, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. एल. एस. राठौड ने कहा कि विभाग ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कई नए आयाम स्थापित किए हैं, जिससे हमारे देश में मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन एवं कृषि मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारियां मिल पा रही हैं।
वे बुधवार को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में एकीकृत मौसम आधारित कृषि सेवाओं की सातवीं वार्षिक समीक्षा बैठक के उद्घाटन समारोह को मुख्यष अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। बैठक 22 नवम्बर तक चलेगी।
डॉ. राठौड़ ने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान शुरू किए गए मृदा की नमी, फसल, कीट एवं व्याधि निरीक्षण एवं पूर्वानुमान मॉडल्स को और अधिक परिष्कृत किए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में प्रचलित ग्लोबल मॉडल 22 किमी की परिधि में पूर्वानुमान करते हैं। इन मॉडल्स को 16 किमी की परिधि व सेटेलाइट आवृत्तियों को 9 किमी की बजाय 3 तथा 1 पर चलाने के लिए उच्च क्षमताओं वाले कम्प्यूटर्स की स्थापना की जा रही हैं जिससे मौसम पूर्वानुमान सूक्ष्म स्तर पर अधिक सटीकता से किया जा सके। डॉ. राठौड़ ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्रों पर मौसम वैज्ञानिकों की नियुक्ति हेतु 160 करोड़ रुपये एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना की विभिन्न योजनाओं हेतु भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 2500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
अध्यक्षता करते हुए एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में मानव जाति के कल्याण के लिए विज्ञान के उपयोग ने प्रकृति और ब्रह्माण्डौ के अनेक रहस्यों को सुलझाया है। मौसम विज्ञान की असीम नवीन संभावनाओं को गहराई से समझने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं कम्प्यूटरों ने प्रकृति और मानव सभ्यता की प्रगति के लिए अनेक रास्ते खोले हैं । भारत की स्वतंत्रता के बाद के 65 वर्षों में देश के किसानों और वैज्ञानिकों ने अपने अथक प्रयासों द्वारा खाद्य उत्पादन में हमें आत्म निर्भर बनाया है जो हमारे लिए एक गौरव की बात है। 21 वीं शताब्दी में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व चुनौतियों ने हमारी कृषि पर बुरा प्रभाव ड़ाला है। लेकिन मौसम पूर्वानुमान और एग्रामेट एडवाइजरी सर्विसेज ने देश के किसानों को मौसम और जलवायु की अनिश्चिताओं से निबटने में बहुत मदद की है। मुझे बहुत गर्व है कि हाल ही मे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली ने उड़ीसा में आए सुपर सायक्लोन का मौसम पूर्वानुमान बिल्कुल सटीक साबित हुआ। डॉ. गिल ने कहा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली, भारत की भोजन सुरक्षा मे मौसम और जलवायु की बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
विशिष्ट अतिथि भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के उपमहानिदेशक, एग्रोमेट, डॉ. एन. चट्टोपाध्याय थे। कार्यक्रम में उपस्थित भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली के एग्रोमेट सेवाओं के अध्यक्ष डॉ. के. के. सिंह ने कृषि मौसम सेवाओं से जुड़ी विभिन्न विभागों और संस्थाओं एवं विशेष रूप से कृषि विश्वविद्यालयों को बेहतर तालमेल से एक सुदृढ़ उपभोक्ता आधार तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। एमपीयूएटी के अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एल. मालीवाल ने आगुन्तकों का स्वागत किया एवं बताया कि स्थानीय ग्रामीण कृषि मौसम सेवा द्वारा नियमित रूप से जारी सलाह को मानते हुए क्षेत्र के किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
इस अवसर पर कृषि मौसम पूर्वानुमान सेवाओं में उल्लेखनीय कार्य के लिए चौधरी चरण कृषि विश्वविद्यालय को बेहतर कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया तथा इस अवसर पर कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनुज भार्गव की पुस्तक ‘यादों की झील से’ जिसमें अनेक स्वरचित कविताओं का संकलन किया गया है, का विमोचन भी किया गया। आयोजन सचिव डॉ. एस. के. शर्मा ने बताया कि इस तीन दिवसीय वार्षिक समीक्षा बैठक में देश के विभिन्न प्रांतों से आए भारत मौसम विभाग, पुणे एवं नई दिल्ली, देश के सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर स्थित 130 ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्र तथा 23 राज्य स्तरीय क्षैत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र के 200 मौसम विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अधिकारी भाग ले रहे हैं।