बच्चों को परिवार आधारित देखभाल को बढा़वा देने के वैकल्पिक रूपों पर कार्यशाला
उदयपुर। सिर्फ अनाथ बच्चों ही नहीं बल्कि हमें प्रत्येक बच्चे की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। समाज में बच्चों के विकास से तमाम समस्याएं हैं, हमें मिलकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए। बच्चों को गोद प्रथा, फोस्टर केयर, रिश्तेंदारी देखभाल, स्पांसरशिप आदि को सामाजिक ढांचे में और लचीला बनाने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हे सुरक्षित परिवार मुहैया करा सकें।
ये तथ्यद सेव द चिल्ड्रन, फोस्टर केयर इंडिया तथा शासकीय अधिकारियों के सयुंक्त प्रयास से “राजस्थान में बच्चों के वैकल्पिक देखरेख के बढ़वा” पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में उभरकर आए। स्वरूप विलास होटल में हुई कार्यशाला में सरकारी विभाग, स्वंयसेवी संगठनों के 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सत्र के पहले दिन सेव द चिल्ड्रन के रामाकांत सत्तपति ने सितम्बर 2014 में होने वाली यूनाइटेड नेशन की जनरल असेम्बली की बैठक का हवाला देते हुए कहा कि हमें उसकी तैयारी आज से शुरू कर देनी चाहिए व बाल संरक्षण के सभी विकल्पों पर विचार करके एक मसौदा तैयार कर उसे भारत की तरफ से प्रस्तुत करना चाहिए।
आरसीपीसीआर के गोविंद बेनीवाल राजस्थान में बच्चों की वैकल्पिक देखभाल के साथ राज्य में बच्चों से जुड़ी पालनहार योजना व मुख्यमंत्री हुनर विकास योजना का जिक्र करते हुए कहा कि जरूरतमंद बच्चों के लिए यह आवश्यक है कि हम उनकी सभी आवश्यकताओं को समझें तथा उन्हे दूर करने का प्रयास करें।
प्रोफेसर एवं बाल संरक्षण कंसल्टेन्ट डा. नीलिमा मेहता ने दूसरे सत्र में परिवार आधारित देखभाल पर जोर देते हुए कहा कि हमें ऐसी नीतियों का निर्माण व पालन करना चाहिए जो बच्चों को पारिवार आधारित देखभाल को बढ़ावा देते हों। उन्होंने वैकल्पिक उपायों की चर्चा की। दूसरे दिन सेन्टर फार ला एण्ड पालिसी रिसर्च, बैंगलोर के राजगोपाल ने कानूनी रूप से फोस्टर केयर की दी गई परिभाषा पर किये गये शोध का जिक्र करते हुए कहा कि इसे और अधिक लचीला तथा स्पष्ट होना चाहिए। परिवार आधारित देखभाल को कानूनी रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होने कहा कि नीति निर्मताओं को और अधिक स्पष्ट और विस्तार से कानून के निर्माण की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री नाम तैयार एक मसौदे में बच्चों के वैकल्पिक देखभाल के आयामों को प्रोत्साहित करने, किशोर न्याय नियम 2011 के तहत फास्टर केयर के लिए नीति निर्माण करना, रिश्तेदारी देखभाल के लिए नीति का निर्माण करना, पालनहार योजना के लाभान्वित परिवारों के लिए नये आयामों को खोजना, बाल संरक्षण से जुड़े सरकारी ढाँचे को और मजबूत करने और प्रशिक्षित करने आदि विषयों पर सहमति बनी।
कार्यक्रम में मनीष प्रसाद, नीमा पंत, डा फ्रैंसिस जैफरिज, देवाशीष मिश्रा, हरीश, सुरेश, ज्योति, जय सिंह आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में फोस्टर केयर इंडिया के निदेशक इअन आनंद ने जरूरतमंद बच्चों के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कार्यक्रम में शामिल लोगों को आभार व्यक्त किया।