निर्मल भारत अभियान की सफल क्रियान्विति पर कार्यशाला
उदयपुर। गांवों में केवल स्वच्छ शौचालय ही नहीं बने वरन् वे सुन्दर व सुरक्षित भी हो, ताकि महिला, पुरुष, बच्चों एवं बुजुर्गों में उनके उपयोग का आकर्षण एवं प्रवृति बढ़े। स्वच्छता सुनिश्चित करने में समुदाय की सहभागिता, उपयुक्त तकनीकी एवं उपयुक्त क्रियान्वयन आवश्याक है।
ये तथ्य विद्या भवन पॉलीटेक्निक में आयोजित निर्मल भारत अभियान की सफल क्रियान्विति पर आयोजित कार्यशाला में उभरकर आए। कार्यशाला का आयोजन विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय की कम्यूनिटी डवलपमेन्ट थूर पॉलीटेक्निक इकाई द्वारा किया गया। कार्यशाला में सेवा मन्दिर, आजीविका ब्यूरो, स्वच्छ परियोजना, जिला परिषद की निर्मल भारत परियोजना, एन. आर. इन्फ्राटेक, भारत विकास परिषद इत्यादि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला की अनुशंसाओं को मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री गुलाबचन्द कटारिया एवं शासन सचिव अपर्णा अरोड़ा को भेजा जायेगा।
कार्यशाला में पॉलीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि राज्य में जल उपलब्धता सहित भौगोलिक परीस्थितियों एवं सामाजिक आदतों में विविधता है। शौचालय एवं स्वच्छता के मॉडल व प्रणाली इस विविधता के अनुरूप बनाने जरूरी है। सेवामन्दिर की जल व स्वच्छता इकाई के रौनक शाह एवं पंकज जोशी ने इकोसेन शौचालय का प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि कम पानी एवं अधिक तीव्र, सुरक्षित मल उपचार के लिए यह प्रणाली सफल है एवं ग्रामवासी इसे स्वीकार कर रहे है। कार्यशाला में मल निस्तारण पर पूना के संदीप जोशी एवं उदयपुर के के. पी. सिंह द्वारा विकसित तकनीकों का प्रदर्शन हुआ।
निर्मल ग्राम परियोजना, जिला परिषद के जिला समन्वयक डॉ. अरुण कुमार चौहान ने कहा कि राज्य में एक करोड़ शौचालयों का निर्माण और होना है, वहीं लगभग हर गांव के दूषित जल के उपचार की विधियां लगवाई जानी है। यह कार्य स्वैच्छिक व तकनीकी संस्थाओं की सहभागिता से ही पूर्ण हो सकेगा।
आजीविका ब्यूरो के स्वास्थ्य निदेशक डॉ. पवित्र मोहन ने बताया कि शौचालय व सम्पूर्ण स्वच्छता के लिए आपूर्ति व मांग में सामंजस्य स्थापित करना होगा। डॉ. मोहन ने कहा कि कई ग्राम पंचायतें जो निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त बनी, वहां भी जलजनित व दूषित जल संबंधी बीमारियां व समस्याएं पाई गई।
विद्याभवन के डॉ. अरुण चतुर्वेदी व एच. आर. भाटी ने कहा कि निर्मल भारत योजना के प्रशासनिक, वित्तीणय, तकनीकी प्रचार-प्रसार व क्षमता संवर्धन संबंधी आयामों में आ रही बाधाओं को दूर कर समग्र स्वच्छता लाने के लिए विद्याभवन हर सम्भव सहयोग देगा। भारत विकास परिषद के दक्षिणी प्रान्त अध्यक्ष डा. भंवर हीरावत ने कहा कि स्वच्छता स्थापित करने के लिये व्यापक जनजागृति जरूरी है। इसके लिये सरल, संवादपूर्ण सामग्री तैयार होनी चाहिए।
स्वच्छ परियोजना के सहायक परियोजना अधिकारी विनोद शारदा ने बताया कि मां-बाडी़ केन्द्रों पर शीघ्र ही शौचालय बनाए जाऐंगे। कार्यषाला में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष जयकान्त दवे, सीडीटीपी इकाई के योगेश दशोरा, सुधीर कुमावत तथा सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल कंठालिया ने भी विचार व्याक्तो किए।