विद्यापीठ में मीरा बाई अध्ययन शोध संस्थान की स्थापना
होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, कुलपति सारंगदेवोत ने दिए एक लाख
उदयपुर। भक्त शिरोमणि मीराबाई के त्याग एवं बलिदान को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित मीरा अध्ययन शोध संस्थान की शनिवार को पहली बैठक हुई। एक करोड़ के बजट में एक लाख रुपए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने प्रदान किए।
पहले चरण में पांच शोधार्थियों को मीरा पर शोध करने का मौका दिया जाएगा। इसके अलावा संस्थान की विभिन्न गतिविधियों आदि पर एक करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत किया गया है। कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने बताया कि संस्थान के लिए जारी किए जाने वाले इस बजट को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। मार्च-अप्रैल में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन का भी निर्णय किया गया। इसमें सम्मेलन के साथ साथ प्रतापनगर स्थित परिसर में मीरा बाई की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम तथा नृत्य नाटिका का आयोजन भी होगा। इस नाटिका के मंचन के लिए हेमा मालिनी को प्रस्ताव भेजा जाएगा। मीरा बाई पर 51 हजार रुपए का पुरस्कार भी प्रदान किया जाएगा। बैठक में निर्णय किया गया कि संस्थान द्वारा अद्धवार्षिक रिसर्च जरनल का प्रकाशन भी किया जाएगा, जिसे साल में दो बार निकाला जाएगा। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि एक करोड़ रुपए के बजट को लेकर तय किया गया है कि पहले चरण में 20 लाख रुपए, दूसरे में 30 लाख रुपए तथा अंतिम और तीसरे चरण में 50 लाख रुपए दिए जाएंगे। प्रथम चरण में मिलने वाले बजट में से पांच लाख रुपए लाइब्रेरी पर खर्च किए जाएंगे, शेष राशि निर्माण आदि पर लगाई जाएगी। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि प्रो. कल्याणसिंह शेखावत को संस्थान का कार्यकारी निदेशक बनाया गया है, जबकि प्रो. जीएम मेहता को मुख्य समन्वयक बनाया गया है। इसी तरह सदस्य के रूप में प्रो. केएस गुप्ता, प्रो. लोकेश शेखावत, प्रो. देव कोठारी, प्रो. एस सुंदरम तथा प्रो. नीलम कौशिक शामिल हैं।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय किए गए जिसमें मीरा की जीवन एवं उनके चारित्रिक एवं बलिदान की गाथाओं की पुस्तक का प्रकाशन करना। उन्होने कहा कि मीराबाई हमारी आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक है। वे सम्पूर्ण नारी समाज का गौरव है। वे भक्ति एवं शक्ति की निर्मल धाराओं से युक्त पावन गंगा के समान है। ऐसी भक्तिमयी मीराबाई की पीठ की स्थापना कर हम अपने आप में गौरवांवित महसूस कर रहे है।
बनेगा मीरा संस्थान : कुलपति प्रो. सारंगदेवोत बताया कि मीराबाई अध्ययन शोध संस्थान में मीराबाई विभिन्न पहलुओं तथा अनछूए पहलुओं को खोजा जाएगा तथा इतिहास , साहित्यिक पक्ष, दार्शनिक पक्ष, सांस्कृतिक पक्ष पर शोध किया जाएगा व मीराबाई से जुड़े विभिन्न संस्थाओं का भी सहयोग लिया जायेगा। इस हेतु एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी किया जायेगा। उन्होने बताया कि मीराबाई के उपर किया गया पब्लिक वर्क एवं मेन स्क्रिप्ट की सूची बनाई जाएगी तथा साथ ही उनकी जीवनी पर शोध, पदावली पर ज्यादा से ज्यादा कार्य किया जायेगा। इस हेतु विद्यापीठ परिसर में अलग से मीरा भवन बनेगा जिसमें नाट्यशाला, पुस्तकालय, शोध कक्ष, ओडियो – विजियोअल कक्ष तथा उन पर एक डाक्युमेन्ट्री फिल्म तथा वेबसाइट् भी बनाई जायेगी तथा राजस्थान में विद्यमान विभिन्न क्षेत्रों पर कार्य किया जायेगा।
एक करोड़ रूपये की राशि से बनेगा मीरा संस्थान : कुलपति प्रो. सारंगदेवोत बताया कि मीराबाई के संस्थान हेतु आम जन एवं समाजसेवियों से धन संग्रह किया जायेगा। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने इसकी शुरूआत करते हुए व्यक्तिगत तौर पर एक लाख रूपये देने की तत्काल घोषणा की।