उदयपुर। न्यायालय, तहसीलदार नगर विकास प्रन्यास द्वारा 20 सितम्बर को पारित निर्णय से रेल्वे स्टेशन के समने स्थित कच्ची बस्ती के निवासियों को उनके मकान एवं कब्जे से हटाने के आदेश पर उक्त कच्ची बस्ती के कब्जेधारियों ने न्यायालय में निर्णय के पुनरावलोकन के प्रार्थना पत्र पेश किए।
कच्ची बस्ती निवासियों के एडवोकेट राजेश सिंघवी ने बताया कि कच्ची बस्ती वासियों ने न्यायालय द्वारा उनके मकान एवं कब्जे हटाने का निर्णय मिलने के बाद न्यायालय में पुनरावलोकन प्रार्थना पत्र पेश कर बताया कि रेल्वे स्टेशन के सामने स्थित कच्ची बस्ती का क्षेत्र नगर विकास प्रन्यास उदयपुर के क्षेत्राधिकार में नहीं होकर नगर निगम उदयपुर के क्षेत्राधिकार में है। इसके अलावा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने प्रन्यास एवं दूसरे पक्षकार को 20 मई 1998 के आदेश से मौके की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया, जबकि कच्ची बस्ती वासियों को कब्जे 20 मई 1998 से पहले के हो उन्होंने मौके की स्थिति में परिवर्तन नहीं किया है। इसलिए न्यायालय का 20 सितम्बर 2016 का कच्ची बस्ती वासियों को उनके कब्जे के मकान से बेदखल करने का आदेश क्षेत्राधिकार से परे होने के आधार पर निरस्त होने योग्य है।
सिंघवी ने बताया कि न्यायालय, तहसीलदार, नगर विकास प्रन्यास ने पूर्व में भी कुछ प्रकरणों में नगर निगम उदयपुर के क्षेत्राधिकार में भूमि पर कथित अवैध कब्जेधारियों को उनके कब्जे हटाने के नोटिस दिये, लेकिन जब न्यायालय का ध्यान क्षेत्राधिकार के बारे में आकर्षित किया गया तो न्यायालय, तहसीलदार नगर विकास प्रन्यास उदयपुर ने प्रकरण को नगर निगम उदयपुर में स्थानान्तरित कर दिया। सिंघवी ने यह भी बताया कि जब दो पक्षकारों में विवाद किसी न्यायालय में विचाराधीन हो तो उसी न्यायालय के आदेश पर ही मौके की स्थिति पर कोई कार्यवाही हो सकती है।