तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव की यह थी पाँचवी प्रस्तुति
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र एवं नाट्यांश सोसायटी आॅफ ड्रामेटिक एंड परफार्मिंग आट्र्स के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे चैथे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फ़ाज़ के समापन दिवस पर परंपरा नाट्य समिती, जयपुर से आये कलाकारों द्वारा नाटक अग्नि परीक्षा का मंचन किया गया।
निर्देशक दिलीप भट्ट ने बताया कि नाटक अग्नि-परीक्षा की यह 99वीं प्रस्तुति थी। यह नाटक कथा प्रधान नहीं बल्कि कथ्य प्रधान एक विचारात्मक नाटक है। इसमें नारी द्वारा अग्नि परीक्षा के चार महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन बखूबी किया गया है, जो पौराणिक काल से लेकर आज तक नारी उत्पीड़न के ज्वलंत उदाहरण है, जिसमे सती का आत्मदाह, सीता की अग्नि परीक्षा, पद्मिनी का जौहर और सती के नाम पर विधवा बहू का देह दहन के प्रसंग को दर्शाया गया है।
ये प्रसंग इस बात की तरफ इशारा करते है कि समय और काल कोई भी क्यों ना हो प्रताड़ना तो नारी को ही सहन करनी पडती है और आज के आधुनिक समाज में भी यही हाल है। राजस्थान की लोक गायकी शैली तमाशा से ओत प्रोत इस नाटक के कई दृश्यो ने दर्शकों की आत्मा को झकझोर दिया। तमाशा शैली का महत्वपूर्ण अंग है संगीत, लय ताल और उसमें गाई जाने वाली रागें।
नाटक का लेखन डाॅ. हरिराम आचार्य जी का है। कलाकारों में रेणु सनाढ्य, रुही भारद्वाज, अफसाना खान, जय खत्री, मुकेश वर्मा, पवन कुमार श्योरान, विजय गुर्जर, शुभम धनवानी, सुनील सैनी, सी. पी. नागर, मयंक भट्ट, सिकंदर अब्बास, सचिन भट्ट, विजय योगी, मणी भुषण चैबे, विष्णू सेन, रवी लखियानी, लव सोनी, कुलभुषण भाटिया, पवन कुमार श्योरान ने अपने अभिनय की छाप छोडी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गिर्वा के उप खण्ड अधिकारी श्रीमान कम्मर-उल-जमान चैधरी ने की एवं मुख्य अतिथि भुतपुर्व तहसीलदार श्रीमान लियाकत हुसैन मंसूरी और विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष नाट्यांश सोसायटी आॅफ ड्रामेटिक एंड परफाॅर्मिंग आट्र्स के अध्यक्ष श्रीमान अश्फ़ाक़ नुर खान रहे। कार्यक्रम के अन्त में नाट्यांश सोसायटी आॅफ ड्रामेटिक एंड परफाॅर्मिंग आट्र्स के सह संस्थापक मो. रिजवान मंसुरी ने धन्यवाद ज्ञापीत किया।