भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
udaipur. पेसिफिक इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी एवं मोहनलाल सुखाडिया विश्व्विद्यालय के तत्वावधान में ‘भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास‘ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन पेसिफिक विश्वविद्यालय केम्पस में हुआ। मुख्य अतिथि गोविन्द वल्लभपंत कृषि विश्विविद्यालय, पंतनगर के कुलपति प्रो. बी. एस. बिष्ट तथा विशिष्ट् अतिथि भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, नई दिल्ली के प्रोफेसर एवं प्रोजेक्ट निदेशक प्रो. राकेश मोहन जोशी तथा विशिष्ट वक्ता अस्पायर समूह के चीफ ओपरेटिंग आफिसर अमित भाटिया व पाहेर समूह के प्रो. प्रेसिडेन्ट प्रो. बी. पी. शर्मा थे।
सुविवि कुलपति प्रो. इन्द्रवर्धन त्रिवेदी ने अध्यक्षता की। अतिथियों का स्वागत करते हुए पेसिफिक इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी के निदेशक प्रो. के. के. दवे ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर की भूमिका अहम हो रही है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रवपति एपीजे अब्दुल कलाम के विजन 2020 को आधार मानते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सडक व ड्रेनेज का अभाव बताया। आजादी के 60 वर्ष बाद भी लाखों गाँव बिजली से वंचित है। मुख्य अतिथि प्रो. बिष्ट ने इन्फ्रास्ट्रक्चर विषय पर संगोष्ठीव को उपयुक्त बताते हुए कहा कि 2050 तक भारत की जनसंख्या करीब 180 करोड़ के आसपास होगी लेकिन कृषि भूमि घटकर 120 मिलियन हैक्टर रह जाएगी। उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कृषि की अहम भूमिका बताते हुए कहा कि मौजूदा कृषि की जीडीपी 14.2 प्रतिशत है, जो 2050 तक घटकर 6.7 प्रतिशत तक रह जाएगी। भारतीय संस्थानों व विश्वगविद्यालयों को बहुआयामी विद्यार्थी तैयार करने होंगे जो आने वाले समय में संसाधनों का समुचित प्रंबधन कर पाएंगे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. जोशी ने कहा कि भारत तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है एवम् चीन के बाद सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है जो वैश्विक प्रतिस्पतर्धा में 56 वां स्थान रखता है। देश की विकास दर बढ़ती जरूरतों को देखते हुए काफी पीछे है। भारत में भ्रष्टाउचार के कारण विकास की दर पिछड़ गई है और आज भी इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में असीम संभावनाएँ मौजूद है। पाहेर के वित्त सचिव आशीष अग्रवाल ने पेसिफिक विश्वविद्यालय में इस तरह के आयोजन को बढ़ावा देने के लिए किसी भी प्रकार की सहायता देने की तत्परता बताई।
मुख्य वक्ता अस्पायर, नई दिल्ली के सीईओ अमित भाटिया ने सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर प्रकाश डालते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य व मूल्यों को सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के तीन प्रमुख स्तम्भ बताए। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी 10 में से चार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और पोषण संबंधी तथ्य चौंकाने वाले हैं। भ्रष्टा्चार के कारण भारतीय युवा में रोष है और मूल्यो का संवर्धन व प्रबंधन ही हमें इस से बाहर निकाल सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाहेर समूह के प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए सामरिक योजनाओं का प्रतिपादन आवश्यमक है। चीन और भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर की तुलना करते हुए उन्होनें भारतीय परिपेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2020 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेजी से विकसित करना होगा। मोहनलाल सुखाडिया विश्व्विद्यालय के कुलपति प्रो.इन्द्रवर्धन त्रिवेदी ने कहा कि सुखाडिया विश्वुविद्यालय 50 वीं जयंती मना रहा है और पेसिफिक के साथ यह संगोष्ठी उनके कार्यक्रमों की श्रृंखला की हिस्सा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती जरूरत के कारण ही इस विषय पर मंथन किया जा रहा है। संगोष्ठीख के मुख्य बिन्दुओं को यातायात व सडक़ राजमार्ग मंत्रालय को भेजने की बात पर जोर दिया। संचालन डॉ. पल्लवी मेहता व डॉ सुभाष शर्मा ने किया। धन्यीवाद प्रो. अली यावर रेहा ने दिया।
तकनीकी सत्र
पहले दिन दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र सड़क व राजमार्ग परिवहन पर आधारित था जिसकी अध्यक्षता प्रबंध संस्थान देवी अहिल्या विश्व विद्यालय, इंदौर के निदेशक प्रो.पी.एन.मिश्रा ने की। इस सत्र में आईआईटी से प्रो. कपिल गुप्ता ने मुम्बई की जल संचय व सेनिटेशन व्यवस्था पर प्रकार डाला । प्रो.संजय लोढा ने नेशनल हाइवे 76 की समस्याएँ व सुझाव विषय पर पत्रवाचन किया। एमईआई गुडगाँव के प्रो.सी.पी. श्रीमाली ने सडको की मौजूदा स्थिति एंव सुझाव विषय पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठीु का दूसरा सत्र ग्रामीण विकास पर आधारित था। अध्यक्षता महाराजा सयाजी राव विश्वीविद्यालय, बडोदरा में बैंकिंग व इंश्योकरेन्स के विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप चेलानी ने की।