उदयपुर। केन्द्र सरकार के पृथ्वी् विज्ञान मंत्रायल, एसोचैम, आईएआरआरडी एवं रशियन फैडरेशन के तत्वादवधान में नई दिल्ली में नदियों के सुधार पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में आयड़ के ग्रीन ब्रिज मॉडल को काफी सराहा गया। झील संरक्षण समिति के डॉ. तेज राजदान एवं विद्या भवन पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के प्राचार्य अनिल मेहता ने सेमिनार में कहा कि जल स्रोतों की सुरक्षा एवं संरक्षण में ही पृथ्वी का प्राकृतिक संतुलन निहित है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पूर्व अध्य्क्ष परितोष त्याथगी ने कहा कि नदियों को अतिक्रमण से बचाना जरूरी है। उन्होंकने नदी सुधार में जनसहभागिता का महत्व भी बताया। केन्द्रीय संयुक्त सचिव अजय त्यागी ने भारत सरकार की नदी संरक्षण योजनाओं की जानकारी दी। नीरी के डॉ. जे. के. भसीन, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के डॉ. आर. एम. भारद्वाज, डॉ. डी. डी. बासू सहित कई विशेषज्ञों ने विभिन्न आयामों पर जानकारी दी। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि आयड़ नदी में सूखा नाका पर लगे ग्रीन ब्रिज मॉडल को नदी में जगह-जगह उपयुक्त स्थानों पर लगाना चाहिए। इससे गंदे पानी का उपचार होगा तथा नदी में पानी बहता दिखाई देगा।