आचार्य देवेन्द्र मुनि की दीक्षा जयन्ती एवं साध्वी कुसुमवती की पुण्यतिथि पर गुणानुवाद सभा
उदयपुर। श्रमण संघ के प्रवर्तक राष्ट्रसंत गणेशमुनि म.सा.ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी विषय पर कम बोलना चाहिए और उस चिन्तन अधिक करना चाहिये तभी उसकी समाज में कीमत बढ़ेगी। ऐसे ही गुणों के धनी थे आचार्य सम्राट देवेन्द्र मुनि व साध्वी कुसुमवती म.सा.।
वे आज हिरणमगरी से. 4 टैगोर स्थित कुसुमवती सेवा साधना शिक्षण संस्थान में आयोजित गुणानुवाद सभा में श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य देवेन्द्र मुनि की 73 वंीं दीक्षा जयन्ती व गुरणी मैया साध्वी कुसुमवती म.सा. की 14 वंी पुण्यतिथि के अवसर समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रवर्तक गणेशुमनि म.सा. नें अपने सम्प्रदाय के साधु-साध्वियों के 5 चातुर्मास की घोषणा की। उन्होनें कहा कि आचार्य देवेन्द्र मुनि गंभीर व गहरी सोच के धनी थे। आज विश्व में कोई भी देश भारत की तुलना नहीे कर सकता है।
इस अवसर पर डॅा. दिव्यप्रभा ने दोनों दिव्य आत्माओं की ज्ञान, सहनशीलता,चारित्रिक जीवन से प्रेरणा लेकर अपने इस भव को सुाधारना चाहिये। नगर निगम की महापौर रजनी डांगी ने कहा कि यह गुरूओं के आशीर्वाद का ही परिणाम है कि हम कभी भी किसी भी प्रकार दुविधा से आसानी से निकल जाते है। उन्होनें कहा कि शहर में शीघ्र ही एक चौराहे का नामकरण जैन गुरू के नाम पर रखा जाएगा क्योंकि उनके नाम पर बोर्ड में सहमति बन चुकी है। पट्टिका लगनी शेष है। सूरत के श्रीसंघ के अध्यक्ष रोशनलाल ओरडिय़ा व मंत्री सुखलाल मादरेचा ने कहा कि गुरू का जन्म उनके द्वारा दीक्षा लेने के दिन होता है। दिलीप सुराणा ने गुरूओं के जीवन से प्रेरणा लेक अपना जीवन सुधारने की बात कहीं।
साध्वी अनुपमाश्री ने जिन्हें ईश्वर की तलाश करते हुए परमात्मा का मिलन होता है वह यक्ति जीवन में कभी भी धर्म को वाद-विवाद, पूछताछ की परिधि में नहीं लाता है। हर्मं धर्म को जानने से पूर्व उस पर गहन मंथन करना होगा। धर्म को जाने के लिए जीवन में उत्कंठा का संचार करना चाहिये। धर्म हमारें लिए चेतना एवं प्राण है। एडवोकेट फतहलाल नागौरी ने कहा कि बिना अर्थ के समाज का संचालन संभव नहीं है। कुसुमवती सेवा साधना शिक्षण संस्थान के निर्र्माण में दानदाताओं को आगे आना चाहिये।
काव्यतीर्थ जिनेन्द्र मुनि म.सा. ने कहा कि आचार्य देवेन्द्र मुनि ने अपने जीवन में गुरू पुष्करमुनि म.सा. से जो भी पाया उसे पुन: संसार को लौटा कर उसे अलौकिक कर दिया। वे अच्छी शिक्षा की बातें ग्रहण कर उसका प्रकाश फैलाते। शिष्य व गुरू हो तो देवेन्द्र मुनि जैसे। मात्र 9 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने के बाद अपना सम्पूर्ण जीवन धर्म एवं समाज के लिए अर्पित कर दिया। साध्वी राजश्री ने कहा कि देवेन्द्र मुनि व कुसुमवती ने धरती पर ज्ञान एवं आध्यात्म की ज्योत फैलायी।
इससे पूर्व कुसुमवती सेवा साधना शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष भंवर सेठ ने कहा कि अच्छा शिष्य अच्छा गुरू बन सकता है लेकिन जो कभी शिष्य ही नहीं बना और जिसने अनुशासन को कभी अंगीकार नहीं किया,उसमें कभी गुरू बनने की योग्यता नहीं आती है। समारोह में साध्वी निरूपमाश्री ने गीतिका एंव भजन के माध्यम से अपने गुरूओं को वंदन किया। जैन कॉन्फ्रेन्स के प्रान्तीय कंवरलाल सूर्या,दिव्य कुसुम धार्मिक जैन शिक्षा संस्था की स्थानीय अध्यक्ष आशा कोठारी,दिलीप सुराणा,ओकारसिंह सिरोया ने महासती नमिता ने भी समारोह को संबोधित किया। दिलीप सुराणा, किरणमल सावनसुखा अरूण वया भी समारोह में उपस्थित थे।
चातुर्मास की घोषणा-प्रवर्तक गणेशमुनि शास्त्री ने आज समारोह में अपने समप्रदाय के साधु-साध्वियों के चातुर्मास की घोषणा की। उन्होनें उपाध्याय रमेश मुनि,डॅा.राजेन्द्र मुनि, व दिनेश मुनि आदि ठाणा-3 व आदि ठाणा-4 का चातुर्मास बैगंलोर, साध्वी संयमप्रभा आदि ठाणा-3 का अहमदनगर के केड़ गांव, साध्वी चन्दनबाला म.सा. का चातुर्मास कर्नाटक के हरपनहल्ली, साध्वी प्रियदर्शना, साध्वी रतन ज्योति म.सा. का हैदराबाद में तथा डॅा.दिव्य प्रभा, साध्वी अनुपमा आदि ठाणा-5 का चातुर्मास सूरत शहर में कराये जाने की घोषणा की।
दानदाताओं का सम्मान- कुसुमवती सेवा साधना शिक्षण संस्थान की ओर से दानदाताओं को माल्यार्पण कर एंव शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। समारोह में किरणमल सावनसुखा ने 1 लाख, फहतहलाल नागौरी ने 11 हजार,अरूण वया ने 21 हजार,कंवरलाल सूर्या ने 21 हजार रूपयें देने की घेाषणा की। इससे पूर्व महासती भव्याश्री,सौम्याश्री ने मंगलाचरण एवं वैरागन सोनिया एंव प्रीति जैन ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संचालन भंवर सेठ ने किया।