मीठे प्रवचन के पांचवें दिन सुखी जीवन के लिए कहा आचार्य शान्तिसागर ने
उदयपुर। मनुष्य की जीवन रूपी गाड़ी दो पहियों पर चलती है एक सुख तो दूसरा दुख। जीवन में कभी सुखों की छांव आती है तो कभी दुखों की धूप। कभी अच्छे दिन भी आते हैं तो कभी बुरे भी। जीवन में समय कैसा भी आये मनुष्य को कभी भी विचलित नहीं होना चाहिये।
ये विचार आचार्य शान्तिसागर ने नगर निगम प्रांगण में आयोजित अष्ट दिवसीय मीठे प्रवचन की श्रृंखला के पांचवें दिन व्यक्त किये। आचार्य ने कहा कि यह मनुष्य का स्वभाव है कि वह दूसरों में गलतियां, कमियां, खामियां निकालता रहता है। लेकिन खुद में क्या है वह नहीं देखता है। दूसरों में कमियां-खामियां निकालने के लिए भेजा चाहिये लेकिन स्वयं की कमियां- खामियां स्वीकारने के लिए कलेजा चाहिए।
आचार्य ने कहा कि नारियों के दुख का मूल कारण है उनकी जिद्द और पुरूषों के दुख का मूल कारण है गुस्सा। अगर नारी जिद्द करना छोड़ दे और पुरूष गुस्सा करना छोड़ दे तो दाम्पत्य और पारीवारिक जीवन में कभी दुख आएगा ही नहीं आएगा। जब नारी के मन में जिद्द की दीवार खड़ी हो जाती है तो वह दुखों से माथे फोड़ देती है और जब पुरूष में गुस्से की दरार पड़ जाती है तो सारी सुख की दीवारें टूट जाती है और सब कुछ तबाह हो जाता है। दरार को मिटाओ, सीमा और मर्यादा की दीवार को मत गिराओ। जब नाखुन बड़े हो जाते हैं तो नाखुन ही काटे जाते हैं अंगुली नहीं। दुख के छोटे- मोटे कई कारण है। कई बार पड़ौसी के सुख को देख कर भी हम दुखी होते हैं।
आचार्यश्री ने पुरूषों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब बेटी की शादी होकर वह ससुराल विदा होती है तो मां उसे समझाती है कि बेटा पति को परमेश्वर मान कर जीवन बीताना। लेकिन पुरूष वर्ग ऐसा है जो अपने बेटे को ब्याह कर घर में बहू ले आता है, लेकिन बेटे को यह कभी नहीं समझाता कि बेटा बहू को देवी समझ कर जीवन बीताना। अगर पिता भी बेटे को इस प्रकार की नसीहत, ऐसे संस्कार देने लगे तो दाम्पत्य जीवन में, पारीवारिक जीवन में कभी भी दुखों की दीवार खड़ी नहीं होगी, कभी दरार नहीं पड़ेगी और जीवन खुशहाल रहेगा। दुनिया के प्र्रति आसक्ति, धन दौलत के प्रति आसक्ति और मूर्छा ये सभी जीवन में दुख ही देते हैं।
पांचवें दिन के मुख्य पुण्यार्जक अतिथियों एक्मे फायनेन्स प्रा.लि., ममोड़सिंह, किशन वाधवानी, मगनी बाई, नानकराम कस्तूरी थे। श्रेष्ठीजनों में सेठ शान्तिलाल नागदा, नाथूलाल खलूडिया, चन्दनलाल छाप्या, देवेन्द्र छाप्या, सुमतिलाल दुदावत, जनकराज सोनी, सुरेश पद्मावत आदि थे। खण्डेलवाल महिला मण्डल की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। राजेश एण्ड ग्रुप पार्टी द्वारा धार्मिक भजन प्रस्तुत किये गये। धर्मसभा का संचालन निर्मल मालवी ने किया।