पर्यावरण संरक्षण में थे काफी सहायक
उदयपुर। विकास हर व्यक्ति, समाज, राष्ट्र व विश्व की आवश्यकता होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षो में मनुष्य ने जिस गति से वैश्विक स्तर पर स्वंय का एवं राष्ट्र का विकास किया है उससे पयार्वरण को काफी नुकसान पहुंचा है।
उक्त बात जिला वन अधिकारी आर.के.जैन ने रोटरी क्लब उदयपुर की ओर से गुरूवार को रोटरी बजाज भवन में आयोजित ‘पर्यावरण संरक्षण में हमारा योगदान’ विषयक वार्ता में व्यक्त की। उन्होनें कहा कि पर्यावरण संरक्षण में जिस प्रकार से हर जीवन-जन्तु, पेड़,पौधों का अहम योगदान होता है। हम अपने ही स्वार्थ के लिए उनके अस्तित्व को मिटाते जा रहे है। पर्यावरण का हम तीव्र गति से हस करते जा रहे है।
जैन ने बताया कि दक्षिण भारत में चावल की खेती की बम्पर पैदावार में सहायक मेंढक की टांगों को अधिक धनार्जन के लिए काटकर चीन जैसों देशों में निर्यात करना प्रारम्भ कर दिया था लेकिन जब वहां की बम्पर पैदावार गिरकर 40 प्रतिशत हुई तो सभी सचेत हुए और अब उनका निर्यात बंद किया। उन्होनें बताया कि जहां मेंढक की आवश्यकता है, वहां मेंढक समाप्त हो रहे है। सडक़ों के विकास ने मेंढकों को समाप्त किया है। विकास ने जहां चिडिय़ाओं का चहचहाना बंद कर दिया है वहीं रात्रि में दिखाई देने वाले जुगनू के अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में सकारात्मक योगदान देने वाले हर छोटी चीज को हम भूलते जा रहे है। उनके अस्तित्व को समाप्त करते जा रहे है। जंगलो में जंगली सूअर अब दिखाई नहीं देते है जबकि वे जंगलों के निर्माण में अहम भूमिका निभाते थे। हमारें व प्रकृति पौधरोपण में बहुत अन्तर है। प्रकृति का पौधरोपण व्यवस्थित रूप से होता है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में हुए तापमान वृद्धि में 85 प्रतिशत योगदान मानव का रहा है।
क्लब की पर्यावरण संरक्षण कमेटी के चेयरमैन डॉ. यशवन्तसिंह कोठारी ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व पर्यावरण समस्या से जूझ रहा है लेकिन इसे कोई गंभीरता के साथ नहीं ले रहा है। रासायनिक कीटनाशकों के करण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। भावी पीढ़ी को दुषित भोजन मिल रहा है जिससे उनकी प्रजनन शक्ति के समाप्त होने की संभावना है। उन्होनें बताया कि प्रतिवर्ष प्रकृति हमें 0.40 मिलीयन टन उर्वरक भूमि देती है जबकि हम प्रतिवर्ष 25 मिलीयन टन भूमि का कटाव कर रहे है। बढ़ते वाहनों की संख्या के कारण वर्ष 2020 तक सडक़ हादसों में 2 लाख व्यक्तियों के मरने की संभावना बतायी जाती है।
डॉ. कोठारी ने बताया कि यदि अब भी हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना है तो नगर निगम को मकानों के नक्शे पास करने से पूर्व मकान में कम से कम 10 पौधें लगाने जितनी भूमि छोडऩे जैसी शर्त आवश्यक रूप से लगानी होगी। प्रारम्भ में डॉ. बी.एल.सिरोया ने भी पर्यावरण संरक्षण पर विचार व्यक्त किये। सचिव डॅा. नरेन्द्र धींग ने सचिवीय जानकारी दी एवं धन्यवाद दिया।