व्यापारियों की तरह ही उपभोक्ताओं के लिए भी बने रोड परमिट
ऑनलाइन कम्यूटर ट्रेडर्स ने किया राज्यव्यापी बंद
उदयपुर। भारत में पिछले कुछ समय से बढ़े ऑनलाइन कारोबार के सन्दर्भ में बने कानूनों का मखौल उड़ाते हुए अपने कारोबार को जिस तरह से बढ़ाया है उससे देश के छोटे-बड़े कारोबारियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। कुछ कारोबारियों ने तो इसे परेशान हो कर अपना कारोबार बंद तक कर दिया है।
उदयपुर कम्प्यूटर्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के विकास अग्रवाल ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि मल्टी नेशनल कम्प्यूटर सहित अन्य उत्पाद निर्माता कम्पनियों द्वारा ऑनलाइन कम्पनियों एवं अपने डीलरों के बीच कीमतों को लेकर किये जा रहे भेदभाव का नुकसान न केवल कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है वहीं सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। पिछले कुछ वर्षो में ये ऑनलाईन कम्पनियों अपने वित्तिय खातों में अरबों रूपयों का नुकसान बताने के बावजूद जनता को बाजार दर से काफी कम दर पर जनता को उत्पाद उपलब्ध करा रही है। यह किस प्रकार संभव है। यदि देश को विकास की राह पर लाना और बेरोजगारी को बढऩे से रोकना है तो सरकार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सन्दर्भ में बने कानूनों का खुले आम उल्लघंन कर रही इन ऑनलाईन कम्पनियों के वित्तिय लेखा परीक्षण कराया जाना चाहिये ताकि कालेधन की रोकथाम के साथ-साथ हो रही राजस्व की हानि को भी रोका जा सकें।
इस अवसर पर अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि उदयपुर कम्प्यूटर टे्रडर्स एसोसिएशन यह मांग करती है कि उत्पाद निर्माता कम्पनियंा अपने उत्पाद की मार्केट ऑपरेटिंग प्राईज़ व अधिकतम खुदरा मूल्य को चैनल व ऑनलाइन पर समान रखें। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाए। ऑनलाईन कम्पनियों से उत्पाद खरीदने वाले उपभोक्ताओं को भी उपभोक्ता सुरक्षा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सुरक्षा प्रदानकी जानी चाहिये। अन्य राज्यों से आने वाली सभी वस्तुओं पर अलग से कर का प्रावधान हो ताकि वस्तुओं के खुदरा मूल्य के बीच के अन्तर को हटाया जा सकें तथा सरकार को करोड़ों के राजस्व प्रापित हो सकें।
पवन कोठारी ने बताया कि सभी प्रकार के उत्पाद बनाने वाली कम्पनियां अपने उत्पाद की होने वाली ऑनलाईन बिक्री पर अपना निगरानी दल बनाया जाएं तथा दोषी पायी जानी ऑनलाईन कम्पनियों पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहियें। सभी ऑनलाईन कम्पनियों द्वारा बेचे जाने वाले माल की कंपनी की वारंटी या गांरटी की सघन जांच हो।
अरूण लाहोटी ने बताया कि इन ऑनलाईन कम्पनियों द्वारा पिछले कुछ समय से लेपटॉप, कम्प्यूटर,मोबाईल, एवं अन्य महंगे इलेक्ट्रोनिक उपकरण बिना किसी अन्तर्राज्यीय फार्म या बिल का माल सीधा उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है,जिससे सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रूपयें के बिक्री कर के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है। ऑनलाईन कम्पनियों द्वारा बिना कर चुकाये उपभोक्ताओं को 5 से 15 प्रतिशत सस्ते में सीधे माल पंहुचाया जा रहा है। जिसका सीधा प्रभाव छोटे-बड़े कारोबारियों व सेल्समेनों के करीब 50 हजार परिवारों पर पड़ा है। इनकी आजीविका पर भी संकट गहरा गया है।
नरेन्द्र पिछोलिया ने बताया कि एसेासिएशन ने सरकार से मांग की कि जिस प्रकार से व्यापारियों के लिए रोड़ परमिट बना हुआ है ठीक उसी प्रकार से यदि उपभोक्ताओं के लिए भी रोड़ परमिट बनाने का प्रावधान होना चाहिये ताकि कारोबार में उपभोक्ताओं की भी जवाबदेही बनेगी। व्यापारियों की भंाति ही उपभोक्ताओं से डिक्लेरेशन फार्म भरवाया जाना चाहिये। उपभोक्ताओं के लिये भी एन्टीटेक्स व लिमिट का प्रावधान हो ताकि सरकार को कर के रूप में राजस्व मिल सकें।
बंद रहा कारोबार, विरोध प्रदर्शन किया-दीपक जैन ने बताया कि उदयपुर कम्प्यूटर्स टे्रडर्स एसोसिएशन के आव्हान पर आज उदयपुर के सभी कम्प्यूटर टे्रडर्स कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रख काली पट्टी बांध रखकर विरोध प्रदर्शन किया तथा बाद में वािणज्य कर विभाग के अधिकारियों को ऑन लाईन कम्पनियेंा को कानून के दायरे में लाने सहित विभिन्न मांगो को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर एसोसिएशन के अनेक सदस्य मौजूद थे।