शास्त्रीय कला उत्सव का आगाज
उदयपुर। लोक कला और शिल्प के आयोजन से देश और दुनिया में प्रख्यात पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर में पहली बार शास्त्रीय कला उत्सव का आयोजन करने जा रहा है। ग्रामीण शिल्प और कला परिसर शिल्पग्राम के मुख्य रंगमंच कलांगन पर 18 से 21 मार्च को केन्द्र द्वारा शास्त्रीय कलाओं से अलंकृत उत्सव ऋतु वसंत का आयोजन होगा।
केन्द्र निदेशक फुरक़ान ख़ान ने बताया कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा सदस्य राज्यों में उत्सवों, कार्यशालाओं, समारोह का आयोजन करता आया है। इसमें केन्द्र के कलाकारों व शिल्पकारों द्वारा कला प्रदर्शन किया जाता है। भारत की अमूल्य कला विरासत को एक मंच पर प्रस्तुत करने तथा देश की विभिन्न शास्त्रीय कला शैलियों से उदयपुर के प्रबुद्ध जनों को रूबरू करवाने के लिये केन्द्र द्वारा उदयपुर में शास्त्रीय कलाओं से अलंकृत उत्सव ऋतु वसंत का आयोजन 18, 19 व 20 मार्च को किया जा रहा है।
उत्सव का आयोजन केन्द्र के कला परिसर शिल्पग्राम के मुख्य रंगमंच पर किया जायेगा जिसमें देश के कई लब्ध प्रतिष्ठत कला विभूतियाँ अपनी साध्य कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में रोजाना शाम सात बजे से शास्त्रीय कला संध्याओं का आयोजन किया जायेगा जिसमें दर्शकों के लिये प्रवेश निःशुल्क होगा। ऋतु वसंत के आयोजन की रूप रेखा के बारे में केन्द्र निदेशक ख़ान ने बताया कि उत्सव के पहले दिन 18 मार्च को पं. दीपक क्षीरसागर का मोहन वीणा वादन होगा इसके बाद प्रसिद्ध गायक ओस्माण मीर अपने दिलकश अंदाज में गायन प्रस्तुत करेंगे। उत्सव के दूसरे दिन 19 मार्च की शाम उदयपुर के कला रसिकों को देश के दो लब्ध प्रतिष्ठित तबलानवाज़ पं. शुभंकर बैनर्जी एवं पं. योगेश शम्सी की तबले पर जुगलबंदी सुनने व देखने को मिलेगी। जुगलबंदी के उपरान्त अरूण शंकर व उनके साथियों द्वारा दक्षिण भारत से प्रस्फुटित शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया जायेगा। तीन दिवसीय ऋतु वसंत के तीसरे दिन की शाम प्रसिद्ध सितार वादक अनुपमा भागवत का सितार वादन प्रमुख आकर्षण होगा वहीं तीसरे दिन पं. राजेन्द्र गंगानी व उनके साथियों की कत्थक नृत्य प्रस्तुति भी विशेष आकर्षण का केन्द्र होगी।