उदयपुर। बाघ टी 24 का उदयपुर सज्ज नगढ़ बायोलोजिकल पार्क में एक वर्ष रविवार को पूरा हुआ। गत वर्ष 16 मई की रात्रि को इसे जैविक उद्यान सज्जनगढ़, उदयपुर लाया गया था।
मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि जैविक उद्यान में विशाल आकार का एनक्लोजर केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदण्डों अनुसार बाघ प्रदर्शन हेतु बना है जिसमें बाघ के आगमन की सूचना मिलते ही तुरन्त एक ऑफ डिस्प्ले क्षेत्र को रहने लायक बनाया गया। इसमें समस्त कांटों को हटाया गया। चूहा नियंत्रण किया गया। एनक्लोजर के बाहर से चूहों के आगमन को रोकने हेतु वनस्पति सफाई की गई। जाली से टकराकर बाघ घायल नहीं हो इस हेतु पीले एवं हरे रंग के लम्बे वस्त्र आंखों की उंचाई पर जाली के बाहर लगवाये गये। बाहर से मनुष्यों का आवागमन नहीं दिखे अतः 10 फिट उंचाई में ग्रीन नेट चारों तरफ लगवाया गया। प्रभावी मोनिटरिंग हेतु सीसीटीवी कैमरे भी लगवाये गये। बाघ टी 24 को ऑफ डिस्प्ले क्षेत्र में रखा गया जिसमें प्राकृतिक वनस्पति छायादार एवं अच्छी स्थिति में है। बाघ टी 24 को जो भी भोजन दिया जाता है वह पशु चिकित्सक की देख रेख में तौल कर दिया जाता है एवं अगले दिन बचे हुए भोजन को तौल कर वास्तविक रूप से खाये गये भोजन की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है।
बीच में नवम्बंर में कुछ दिक्कततें आई लेकिन अंतत: उसकी बीमारी पर काबू पा लिया गया। बाघ टी 24 को बीमारी से उबार कर न शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ बनाये रखने में डॉ. टी. मोहनराज, डॉ. हिमांशु व्यास, गणेशीलाल गोठवाल, नारायण लाल भील, वनरक्षक एवं रामसिंह पंवार हैड केयरटेकर एक वर्ष से निरन्तर प्रयत्नशील रहे। बाघ जैविक उद्यान सज्जनगढ़ की परिस्थितियों में काफी ढल चुका है एवं अपनी दैनिक जैविक क्रियायें सहजता पूर्वक सुचारू रूप से कर रहा है।