फतहनगर. पर्वाधिराज पयुर्षण के अन्तर्गत तीसरा दिन करूणा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मुम्बई के गौरेगांव स्थित मेवाड़ भवन में श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्यमुनि कुमुद ने विशाल धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि करूणा एक आत्मीय संवेदन है जो प्रत्येक जीवन में पाया जाता है। मानव ही नहीं पशुओं में भी करूणा जनित संवेदन देखा गया है।
किसी निराधार पीडि़त अपाहिज एवं पराधीन प्राणी पर अनायास ही करूणा के भाव आ जाना अनुकम्पा कहलाता है। पीडि़त को देखकर अन्तर भी अनुकंपित हो जाए यही अनुकंपा है। मुनि ने कहा कि सारा विश्व पारस्परिक सेवा अनुकंपा और करूणा पर ही टिका हुआ है। बच्चा जन्म लेता है तो वह असहाय होता है। सहायता के दो हाथ आगे बढ़ते हैं और उसको संरक्षण देते हैं। पराधीन स्थिति में यह माता पिता या अन्य किसी भी व्यकित का चलता रहता है। नि:स्वार्थ करूणा भाव से प्रेरित हो सेवा करना यह चेतना के मौलिक गुणों में निहित है। मुनि ने कहा कि यह एक सात्विक आनन्द का विषय है कि देशभर में जीवदया के सर्वाधिक कार्य जन संख्या के अनुपात से जैन धर्म के अनुयायी ही ज्यादा करते हैं। चैतन्यमुनि ने अन्तकृदशांग सूत्र का स्वाध्याय किया। कोमल मुनि ने जीवन को उच्च ध्येय के लिए जीने की प्रेरणा दी। साध्वी चन्द्रप्रभा ने जीवन में छुपी हुई आन्तरिक शकितयों को उजागर करने की सीख दी। संचालन मेवाड़ संघ के मंत्री किशनलाल परमार ने किया। इधर घासा के महावीर भवन में भी मदनमुनि आदि संतों के सानिध्य में पर्युषण पर्व के तहत धर्मसभाएं चल रही है। फतहनगर के समता भवन में भी महासती विचक्षणश्री आदि ठाणा के सानिध्य में पर्युषण पर्व के तहत तप ,आराधना व धर्मसभाएं चल रही है। रोजाना धर्म ध्यान की इस गंगा में लोग बड़ी तादाद में डुबकी लगा रहे हैं।