प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक में कई महत्ववपूर्ण अनुमोदन
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वषविद्यालय की पन्द्रहवीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक प्रसार शिक्षा निदेशालय के प्रज्ञा सभागार में शुक्रवार को हुई। बैठक में मांग आधारित फलदार पौधे तैयार करने सहित अन्या कई महत्व पूर्ण अनुमोदन किए गए।
बैठक में प्रो. ओ.पी. गिल, माननीय कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वतविद्यालय ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों को राज्य सरकार के कृषि विभाग एवं आत्मा् के साथ मिलकर किसानों के हित में नित नये कार्य करने चाहिये। उन्होने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़े अनेक प्रगतिशील किसानों को राष्ट्र स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं जो कि इस विश्वविद्यालय के लिये गर्व की बात है।
आमंत्रित विशेषज्ञ के रूप में देश के ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक पंजाब कृषि विवि लुधियाना के कुलपति प्रो. बी. एस. ढिल्लो कहा कि यहां किये जा रहे कृषि नवाचारों एवं समेकित कृषि प्रणाली देश के लिये आदर्श के रुप में देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना के अन्तर्गत तैयार सस्टेनिबिलिटी फण्ड एक अच्छा उदाहरण है जिसे व्यापक स्तर पर अपनाया जाना चाहिये। इसके तहत् प्रगतिशील कृषकों को कृषि तकनीकी, मशीनरी एवं बीज मामूली मूल्य पर उपलब्ध कराये जाते हैं तथा इस प्रकार सृजित फण्ड से अन्य जरुरतमन्द किसानों को तकनीकी उपलब्ध करवाई जा सकती है। आमंत्रित विशेषज्ञ सरदार कृषि नगर कृषि विश्वनविद्यालय, दांतीवाड़ा के कुलपति ड़ॉ. आर. एम. चौहान ने अपने अभिभाषण में कहा कि वे भी महाविद्यालय के छात्र रह चुके हैं एवं यहां कि उत्कृष्ट कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान कार्यों से अवगत हैं।
बैठक में इन बातों का अनुमोदन किया गया।
– मॉडल नर्सरियों में राज्य सरकार द्वारा इन्डेण्ट (मांग) आधारित फलदार पौधे तैयार करना।
– कृषि विज्ञान केन्द्रों पर सिरोही नस्ल के प्रजनक बकरों का क्रय पशुपालन विभाग द्वारा सुनिश्चित करना।
– राज्य के सीमावर्ती गुजरात व मध्य प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित किस्मों के प्रदर्शन हेतु अनुमोदन।
– कृषि विज्ञान केन्द्रों पर प्रायोजित प्रशिक्षणों की संख्या सुनिश्चित करना।
– राजस्थान आजीविका मिशन के अन्तर्गत आयोजित प्रशिक्षणों के विषय सुनिश्चित करना।
– नर्सरी/पौध उत्पादन में कृषकों/युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
– विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाईयों द्वारा उत्पादित उत्पाद का विक्रय कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र के माध्यम से करना।
– किसानोपयोगी प्रकाशन का एटिक के माध्यम से प्रकाशन।
– विश्वविद्यालय स्तर पर प्रति वर्ष दो दिवसीय किसान मेला तथा फल, पुष्प व सब्जी प्रदर्शनी का आयोजन।
– प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से हो।
– निदेशालय पर कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन की स्थापना करना।
– द्वितीयक खेती-पशुपालन, उद्यानिकी आदि को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करना।
विश्विविद्यालय के अनुसंधान निदेशक, विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक, कुलसचिव एस. एन. लाठी, वित्ति नियंत्रक डी. एन. पुरोहित, राज्य के पशुपालन, कृषि, उद्यानिकी एवं सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, विश्वदविद्यालय के कार्यक्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यक्रम समन्वयक, विभिन्न विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिकगण, कृषक एवं कृषक महिला प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे। अंत में डॉ. पी.सी. चपलोत ने आगुन्तकों का बैठक में भाग लेने के लिये धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया।