‘गांधी शिल्प बाजार 2012’
मेले की बिक्री पहुंची 23 लाख
udaipur. नाथद्वारा के निकट मोलेला गांव से किसी जमाने में लोकदेवता को पूजने की परम्परा की शुरूआत वहीं से हुई थी। वह परम्परा शनै:शनै समाप्त होती जा रही है। मोलेला के कलाकार काली व चिकनी मिट्टी से ग्रामीण पैनल के जरिये ग्रामीण संस्कृति की झलक दिखाकर इस परम्परा को बचाये रखने में प्रयासरत है।
ग्रामीण शिल्पकार मोलेला के लक्ष्मीलाल ने बताया कि अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के साथ-साथ वे ग्रामीण संस्कृति को बचाये रखने के लिये पैनल में विभिन्न रूपों को दर्शाते है। इन्हीं प्रयासो में महाराणा प्रताप पर बनाये गये पैनल पर उन्हें राष्ट्रीय एंव राज्य स्तर पर वर्ष 2007 में सरकार द्वारा पुरूस्कृत भी किया गया। इस मेले में वे जनता के लिये मोलेला से काली व चिकनी मिट्टी से निर्मित मूर्तियां,ग्रामीण पैनल, मिट्टी के पानी के जब, फ्लावर पॉट के साथ ही विभिन्न प्रकार के 10 रूपयें से लेकर 15 हजार तक के डेकोरटिव आइटम साथ लाये है। इस कला को बचाये रखने के लिये वे समय-समय पर स्कूलों व कॉलेजों में छात्रों को शिक्षित भी करते है। ruda के दिनेश सेठी ने बताया कि अब तक मेले में 23 लाख की बिक्री हो चुकी है। मेले में जनता की रंगत जमने लगी है। शिल्पकारों द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार के उत्पाद जनता द्वारा काफी पसन्द किये जा रहे है।