3000 बच्चों ने सीखी जीवन जीने की कला
उदयपुर। महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवसरण में शहर के 15 राजकीय एंव निजी विद्यालयों के 2970 विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए आत्मज्ञानी ध्यानगुरू आचार्य सम्राट डाॅ. श्री शिवमुनि म.सा ने कहा कि मेरे सामने बैठे समस्त विद्यार्थी आने वाले समय में भारत का भविष्य है। आज का अबोध विद्यार्थी कल का सुबोध नागरिक है और समस्त शिक्षक भविष्य निर्माता हैं।
एक विद्यार्थी का निर्माण देश के निर्माण के समान हैं। विद्यालय इंसान को इन्सान बनाने की पैफक्ट्री है। इन्सान को जन्म तो माँ-बाप देते है पर इन्सानियत का जन्म स्कूल से होता है। उन्होंने बच्चों का आव्हान किया कहा कि सुनहरा भविष्य अपनी बाहें फैलाए तुम्हारा इंतजार कर रहा है। बचपन उगते हुए सूरज और खिलती हुई कली के समान है। अभी बच्चों को जीवन की बहुत लम्बी यात्रा तय करनी है। कुछ खुद के सपने तो कुछ माता-पिता के सपनों को पूरा करना हैं। हर माता-पिता का सपना है कि मेरा बेटा पढ़ लिखकर बिजनसमेन बने,लेकिन मेरा मानना है कि डाॅक्टर, इंजिनियर, वकील, सी.ए. बन पाओं या न बन पाओं मगर एक अच्छा और सच्चा इन्सान जरूर बनना चाहिये क्योंकि एक अच्छा इन्सान सौ वकील, सौ डाॅक्टर, सौ सी.ए., सौ इंजिनीयर, सौ वकील से भी बढ़कर होता है।
आचार्यश्री ने कहा कि महापुरूष पैदा नहीं होते है, महापुरूष तो बनना पड़ता है। महात्मा गांधी ने बचपन में मोहनलाल कर्मचन्द गांधी के यहंा साधारण बालक के रूप में जन्म लिया था लेकिन अपने कठिन पुरूषार्थ पराक्रम से वह राष्ट्रपिता गांधी बने थे। जन्म तो नरेन्द्र का हुआ, विवेकानन्द तो अपने संस्कार से बनते है। जन्म तो बालक वर्धमान का हुआ था, महावीर तो अपने पराक्रम और पुरूषार्थ से बने थे। आप भी महापुरूष बन सकते है। सही सोच, सही दिशा और उच्च संस्कार आपको भी महापुरूष बना सकते हैं।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने बच्चों को अपनी राईटिंग को सुन्दर बनानें, प्रतिभावान बच्चों की संगति करनें, भले ही काम छोटा हो पर व्यवस्थित एवं साफ-सफाई से करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने बच्चों को जीवन जीने कला के सूत्र बताते हुए कहा कि जीवन को स्वर्ग बनाने के लिए बच्चों को आजीवन शकाहार रहनें का संकल्प कराया। उन्होंने कहा कि शाकाहार भोजन मनुष्य का भोजन है। मांसाहार राक्षस करते है। लोग सोचते है अंडे पेड़ पर लटकते है वह झूठ बोलते है अंडा मुर्गी से आता है और वह मूर्गी का बच्चा है उसको आप खाते हैं। कोई आपको चुटी भरे तो दर्द होता हैं तो किसी के शरीर का मांस खाना महापाप हैं। इस अवसर पर सभी बच्चों नेे संकल्प लिया कि हम अंडा मांस नहीं खाऐंगे। कोल्ड डिंªक्स का सेवन नहीं करेंगे। पढ़ाई करते हुए, खाना खाते हुए और सोते हुए टी.वी. नहीं देखेंगे। बच्चों ने योग और ध्यान भी किया।
युवाचार्य श्री जी ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन में अनुशासन होना चाहिए। जल्दी सोए, जल्दी उठे, प्रार्थना करें, माता-पिता बड़ो को प्रणाम करे तो जीवन स्वर्णिम बनता है। उन्होंने कहा कि ध्यान करने से मन शांत रहता है। परीक्षा के दिनों में पेपर को लेकर और परीक्षा के बाद परिणाम को लेकर जो बच्चे मानसिक तनाव में रहते हैं, ध्यान करने से उस तनाव से मुक्ति मिलती है।
प्रमुखमंत्री शिरीष मुनि, युवामनीषी सहमंत्री शुभममुनि ने भी बच्चों को सम्बोधित किया। चातुर्मास मुख्य संयोजक वीरेन्द्र डंागी ने बताया कि इस अवसर पर द स्कालर्स एरिना,. श्रीराम स्कुल, आयड़, द स्टेन वर्ड, जयदीप सीनियर सैकण्डरी स्कूल, जवाहर जैन स्कूल, आदिनाथ सीनियर सैकण्डरी स्कूल, महावीर विद्या मंदिर स्कूल, शिशु भारती स्कूल, सेन्ट एन्थोनी स्कूल, विट्टी इन्टरनेशनल स्कूल, शिव पब्लिक स्कूल, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सुखेर, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, महर्षि दध्ीचि स्कुल, जागृति सीनियर सैकण्डरी स्कूल आदि स्कूलो के 2970 बच्चे उपस्थित रहे।
श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर के अध्यक्ष ओंकारसिंह सिरोया ने बताया कि युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋषि म.सा. के 52वें जन्मोत्सव पर इस समस्त आयोजन की संयोजिका श्री शिवाचार्य बहु मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती पिंकी माण्डावत और महामंत्री श्रीमती सुमित्रा सिंघवी रही, इस कार्यक्रम में श्री लोकेश जैन का भी उल्लेखनीय योगदान रहा।