क्रिसमस पर विशेष
तेरे बाजू बना सकते हैं तेरी तकदीर।
तू अगर छोड़ दे देखना अपने हाथों की लकीर।।
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अलवर के एक क्रिश्चियन परिवार में जन्मीर व पली-बढ़ी जेसमिन जॉन अपनी कला व अपने निजी जीवन के संघर्षों के कारण एक ऐसी शख्सियत बन चुकी हैं जिनसे महिलाओं को प्रेरणा मिलती रही है। पढ़-लिख कर जेसमिन की शिल्प और कला में रुचि बढ़ती गई और वे यहां उदयपुर में श्री जॉन से शादी के बंधन में बंध गई। ससुराल में पति व परिजनों के स्नेह से वंचित जेसमिन ने अपनी कला को निखारने में स्वयं को व्यस्त रखना शुरू किया। सेंट ग्रेगोरियस में आर्ट एण्ड क्राफ्ट की क्लासेज ली। इस दौरान वहां एक फिल्म निर्माता ने उनकी प्रतिभा कौशल देखकर कॉस्ट्यूम डिजाइनर का काम दिया। यह शुरुआत ही थी कि उन्हें विदेश का ऑफर मिला, तभी 1986 में उनके पति कैंसर से पीडि़त हो गए। सब कुछ छोड़कर फिर पति की सेवा-सुश्रुषा में लग गई। करीब 4 वर्ष बाद अपनी संस्था आधुनिक महिला कला केन्द्र की स्थापना की महिलाओं को हस्त कला का प्रशिक्षण देना शुरू किया। उन्होंने राष्ट्रीय सरकारी-गैर सरकारी शिल्प व कला मेलों में शिल्प उत्पादों की प्रदर्शनियां लगानी शुरू कर दीं। जैसमिन करीब 300 से अधिक कलाओं की जानकार हैं जो अपनी रुचि के कारण ईजाद की थीं।
लोगों को क्या मिला मेरा चेहरा कुरेद कर।
जो जख्म था वो रूह की गहराइयों में था।।
दर्द हो दिल में मगर रोने की आसानी न हो।
अरे उससे पूछो जिसका घर जलता हो और पानी न हो।।
सब कुछ ठीक चल रहा था कि वर्ष 2001 में उनके पति का स्वास्थ्य कुछ ऐसा बिगडा कि उन्हें फालिज मार गया। जेसमिन एक बार फिर अपनी दुनिया छोड़कर पति की सेवा में जुट गई। पति की बीमारी के दौरान वे बिलकुल अकेली पड़ गई थीं कि स्त्री की वेशभूषा त्याग कर मर्दाना वेशभूषा में रहने लगीं। क्योंकि पति की बीमारी के चलते कभी भी अचानक अस्पताल पहुंचाना होता और भागदौड़ करनी पड़ती थीं। इस दौरान कई बार ऐसा भी हुआ कि सुबह का भोजन किया, शाम का पता नहीं…बनेगा भी या नहीं। अपने जेवर तक बेचने पडे़ लेकिन मददगार के नाम पर कोई नहीं था। आखिर बीमारी से जूझते-जूझते पति ने 26 दिसम्ब़र, 2008 को आंखें मूंद ली लेकिन इतने वर्षों तक संघर्ष करते-करते उनके आंसू सूख चुके थे।
पति की मृत्यु के बाद जेसमिन को फुर्सत तो मिली लेकिन राह नहीं जहां चलकर आसान और सुकून की जिन्दगी जी सके। फिर भी ग्रामीणों की सेवा के लिए विभिन्न रोगों के उपचार के लिए गोमती चौराहे पर दो दिवसीय निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया और अपने पूर्ववत अंदाज में लौट आई।
जेसमिन का सपना है कि जीवन के हर मोड़ पर उत्पीडि़त और जरूरतमंद महिला का संबल बनें और उनकी मदद कर सकें। इसी कार्य में अहर्निश जुटी है और यूं ही अपने लिए सुख के पल खोज ही लेती हैं। उनसे उनके मोबाइल नम्बर 97991 43437 तथा 97724 26663 पर संपर्क किया जा सकता है।
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