फंक्शनल मैनेजमेंट पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार शुरू
Udaipur. फंक्शनल मैनेजमेंट (कार्यात्मक प्रबंधन) के वर्तमान दौर में सबसे बड़ी कमजोरी मैनेजमेंट स्किल्स पढ़ाने वाले विशेषज्ञों की है। प्रबंधन के पाठ्यक्रम और आधारभूत सुविधाओं का नहीं होना भी इसकी राह में बड़ी बाधा है।
ये विचार सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट के डायरेक्टर प्रो. पी. एस चौहान ने व्येक्तं किए। वे जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि के संघटक प्रबंधन अध्ययन संकाय की ओर से आयोजित फंक्शनल मैनेजमेंट के विभिन्न आयामों पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंरने कहा कि बेहतर फंक्शनल मैनेजमेंट के लिए जरुरी है कि इन कमियों को दूर किया जाए तथा इनके स्थान पर उच्च स्तरीय व्यवस्थाएं की जाए। प्रतापनगर स्थित एमबीए सभागार में हो रहे इस सेमिनार में देश विदेश के 350 विषय विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं।
टीम वर्क से होगी लीडरशिप
अमेरिका की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी के प्रो. क्रिश्चियन रेसिक ने बताया कि फंक्शनल प्रबंधन का आधार टीम वर्क है। तभी किसी मामले में लीडरशिप प्राप्त की जा सकती है। फंक्शनल मैनेजमेंट के पाठ्यक्रमों में भी सबसे पहले टीम वर्क से कार्य करने की भावना को सिखाया जाता है। इसके अतिरिक्त छोटे या बड़े प्रोजेक्ट के स्तर के पीछे भी टीम भावना ही होती है। अमेरिका में विद्यार्थियों को इन पाठ्यक्रमों का प्रायोगिक ज्ञान करवाया जाता है। इस दौरान सबसे पहले उन्हें टीम वर्क के साथ काम करना पड़ता है।
चुनौती भरा है आईटी सेक्टर
अमेरिका से आए प्रो. समीर शाह ने बताया कि इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी में विद्यार्थी और फैकल्टी के लिए कई बड़ी चुनौतियां है जिसका उन्हें सामना करना पड़ता है। देश दुनिया में प्रोजेक्ट का नया स्तर सामने आ रहा है जिसमें काफी नई समस्याओं का समावेश है। इन समस्याओं के निराकरण के लिए जरुरी है कि आईटी सेक्टर को फंक्शनल प्रबंधन से जोड़ा जाए। इससे फायदा यह होगा कि आईटी सेक्टर के ज्ञान के साथ उन्हें फंक्शनल मैनेजमेंट की बारीकियों की भी जानकारी हो जाएगी।
जीडीपी से बढ़ी है भूमिका
राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5 फीसदी है जो काफी कम है। इस दर को बढ़ाने में फंक्शनल मैनेजमेंट की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। किस स्तर पर कैसे क्या होना चाहिए आदि बातों की पूर्वाभ्यास करते हुए इन्हें निर्धारित किया जा सकता है। किस प्रोजेक्ट से आमजन पर क्या असर पड़ेगा, राजस्व पर क्या असर पड़ेगा इस पक्ष को भी ध्यान में रखना बेहद आवश्यक है। स्वागत भाषण सेमिनार के चेयरमैन एवं एफएमएस के निदेशक प्रो. एन. एस. राव ने बताया मार्केटिंग, फाइनेंस आदि को मिलाकर फंक्शनल मैनेजमेंट बनता है। इस सेमिनार का उद्देश्य इस फंक्शनल मैनेजमेंट में आने वाली समस्या, निवारण का तरीका तथा विभिन्न विकल्पों पर आधारित है। संचालन आयोजन सचिव डॉ. हिना खान ने किया। धन्यवाद डॉ. नीरू राठौड़ ने दिया। सेमिनार में डॉ. सी. पी. अग्रवाल, रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. लक्ष्मीनारायण नंदवाना, डॉ. शशि चित्तौड़ा, डॉ. सत्यभूषण नागर, डॉ. हेमेंद्र चौधरी, डॉ. दिलीपसिंह चौहान सहित विद्यापीठ के कई कार्यकर्ता एवं विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।
150 पत्रों का वाचन : फंक्शनल मैनेजमेंट और आईटी से जुड़े विभिन्न 150 से अधिक शोध पत्रों का वाचन हुआ। इसमें मुख्य रूप से आईटी, रूरल डवलपमेंट, मार्केटिंग तथा ह्यूमन रिसोर्सेस आदि पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।